Poem: दामिनी का आखिरी ख़त
मै सज के, सवर के, जब घर से निकली थी, माँ भी बोली , तू आज खूबसूरत दिख रही हैं।…
मै सज के, सवर के, जब घर से निकली थी, माँ भी बोली , तू आज खूबसूरत दिख रही हैं।…
हम उस देश में रहते हैं जहां भारत को भारतमाता कहा जाता है , और आज उसी देश में हमारी…
अब मुझे अपनी मंजिल को पाना ही होगा किसी शौक तो किसी चाहत को भुलाना ही होगा देखा था जो…
ज़ख्म भी गहरे होते थे, कपड़े भी मैले होते थे। दुनिया दो पहियों में नापता था, क्योंकि साथ अपनों के…