आज हम बात कर रहे है एक महान अभिनेता, निर्देशक, लेखक, निर्माता और राजनीतिक कार्यकर्ता – देव आनंद साहब की।
देव साहब का जन्म 26 सितंबर 1923 को पंजाब के शकरगढ़ (अब पकिस्तान) में हुआ था। देव साहब को स्कूल में डीडी कहकर पुकारा जाता था। उनका पूरा नाम धर्मदेव आनंद था, लेकिन बच्चे उन्हें डीडी कहकर बुलाते थे।
जब देव साहब मुंबई आए थे, उनकी जेब में सिर्फ 30 रुपये थे, इसके बाद उन्होंने अपनी मेहनत और काम के प्रति निष्ठा से इन 30 रुपयों को लाखों में बदल दिया। फ़िल्मों में कदम रखने से पहले और बीए की डिग्री प्राप्त करने के बाद, उन्होंने नेवी में भर्ती का प्रयास किया था। लेकिन, असफल रहने के बाद उनके पिता ने इन्हें अपने ही ऑफिस में क्लर्क के काम पर रख लिया।
लेकिन, किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था और देव आनंद 22 की उम्र में मुंबई आ गए। वहां से उनके सफर की शुरुआत कुछ ऐसी हुई कि वो एक मिसाल बन गए! ऐसा कहा जाता है कि देव साहब की हिट फ़िल्म ‘काला पानी’ में उन्हें काले रंग का कोट पहनने से रोका गया। क्योंकि काले रंग के कोट में वे इतने हैंडसम लगते थे कि ये डर था कि कहीं लड़कियां उन्हें देखकर छत से न कूद जायें!
करियर शुरू करने के दो साल बाद ही फ़िल्म ‘विद्या’ (1948) की शूटिंग के दौरान उन्हें सुरैया से प्यार हुआ। फ़िल्म के गाने ‘किनारे किनारे चले जाएंगे’ में दोनों नाव पर सवार रहते हैं और नाव डूब जाती है। हीरो की तरह देव आनंद सुरैया को बचाते हैं और उसी वक्त उन्होंने सुरैया से शादी का फैसला कर लिया। देव साहब ने उन्हें फ़िल्म के सेट पर एक अंगूठी देकर प्रपोज किया, लेकिन सुरैया की नानी इस शादी के खिलाफ थीं। हालत कुछ ऐसे बने कि देव आनंद और सुरैया की राहें जुदा हो गयीं लेकिन, दिलचस्प बात यह भी कि उसके बाद सुरैया ने किसी और से भी रिश्ता नहीं जोड़ा और वो ताउम्र कुंवारी रहीं। देव आनंद ने जो अपनी पहली गाड़ी खरीदी थी उसका नाम हिलमैन मिंक्स था। उन्होंने ये गाड़ी सुरैया के साथ की गई पहली फ़िल्म ‘विद्या’ के पैसों से खरीदी थी।बाद में जीनत अमान से भी देव आनंद का नाम जोड़ा गया।
फिल्म के सेट पर की सह कलाकार से शादी
सुरैया से अलगाव के बाद देव आनंद बिल्कुल अकेले रह गए। इसी दौरान उनकी मुलाकात कल्पना कार्तिक से हुई। कल्पना को उनके भाई चेतन आनंद ने फिल्म बाजी में काम करने के लिए कास्ट किया था। फिल्म सेट के अलावा भी देव आनंद और कल्पना मिलने लगे थे। दोनों को एक-दूसरे का साथ अच्छा लग रहा था।
बाजी की सफलता के बाद दोनों ने फिल्म टैक्सी ड्राइवर में भी एक साथ काम किया। पहली फिल्म में काम के लिए कल्पना को बहुत तारीफें मिलीं, जिसके बाद उन्हें देव आनंद की प्रोडक्शन कंपनी के अलावा अन्य बैनर से भी ऑफर मिलने लगे थे, लेकिन इन सभी ऑफर्स को कल्पना ने मना कर दिया था। उनका कहना था कि वो सिर्फ देव साहब के साथ ही फिल्में करना चाहती थीं।
देव आनंद को कल्पना का ये अंदाज बेहद पसंद आया जिसके बाद दोनों ने शादी कर ली। इनकी शादी का भी किस्सा मजेदार है।
किस्सा फिल्म टैक्सी ड्राइवर के सेट से है। इस फिल्म की शूटिंग के दौरान देव आनंद ने कल्पना से कहा कि वो उनके साथ शादी करना चाहते हैं। कल्पना पहले से ही इस पल का इंतजार कर रही थी और उन्होंने इसके लिए तुरंत हां कह दिया। इसके बाद दोनों ने फिल्म शूटिंग के ब्रेक के दौरान ही फिल्म सेट पर शादी कर ली।दोनों दो बच्चों के माता-पिता बने। हालांकि शादी के कुछ सालों बाद ही दोनों का पारिवारिक जीवन कोई खास अच्छा नहीं रहा जिसके बाद दोनों अलग-अलग रहने लगे।
पहली फिल्म मिलने का किस्सा
आराम की नौकरी छोड़कर एक बार वो फिर अपने फिल्म स्टार बनने के सपने को पूरा करने की राह पर चल दिए। उसी दौरान लोकल ट्रेन में एक मुसाफिर ने बताया कि ‘प्रभात फिल्म कंपनी’ अपनी आने वाली फिल्म के लिए एक सुंदर नौजवान की तलाश कर रही है।अगले दिन देव आनंद पहुंच गए फिल्म कंपनी जहां उनकी मुलाकात कंपनी के मालिक बाबूराव पाई से हुई। बाबूराव पाई उनकी बातों और उनके बेबाक जवाब से बहुत प्रभावित हुए और कहा कि कल आकर पी.एल.संतोषी से मिल लेना।
दुनिया को कहा अलविदा
देव साहब का जिंदगी जीने का अपना अलग अंदाज था और उन्होंने एक परिपूर्ण जीवन जिया। देव साहब का 3 दिसंबर 2011 को दिल का दौरा पड़ने से 88 साल की उम्र में लंदन में निधन हो गया था। उनके निधन के 2 महीने बाद उनकी आखिरी फिल्म चार्जशीट रिलीज हुई,जिसे उन्होंने डायरेक्ट और प्रोड्यूस किया था।